यह अनागत को आमंत्रण नहीं, आगत का स्वागत है.
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
जन्म पाना, जीवित रहना और म्रत्यु हमारे हाथ में नहीं. हम मात्र व्यामोह करते हें व उस व्यामोह का त्याग हम कर सकते हें, बस उसी व्यामोह के भाव के अभाव का नाम ही सल्लेखना है.
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
जन्म पाना, जीवित रहना और म्रत्यु हमारे हाथ में नहीं. हम मात्र व्यामोह करते हें व उस व्यामोह का त्याग हम कर सकते हें, बस उसी व्यामोह के भाव के अभाव का नाम ही सल्लेखना है.
यह सर्वोत्कृष्ट धर्म है.
यह तो जीवन की कला है, म्रत्यु को आमंत्रण नहीं.
सल्लेखना व्यामोह का अभाव है, भय का अभाव है, चाहत का अभाव है, म्रत्यु की चाहत नहीं.
यह अनागत को आमंत्रण नहीं, आगत का स्वागत है.
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