अरे जगत की फ़ूडचैन में सब हें इकदूजे के भक्षक
यहाँ किसी की कौन सुनेगा
कौन बनेगा किसका रक्षक
लाठी वाले की भेंस यहाँ पर
बस ऐसा ही न्याय मिलता है
है कौन यहाँ जो हरिश्चन्द्र के
पावनपदचिन्हों पर चलता है
जोड़तोड़ के गणित निराले
दो चार मिले बारह
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