Friday, September 2, 2011

इससे पाहिले कि हमारे साथ कुछ ऐसा -वैसा हो जाए , हमें अपना काम कर लेना है -

इससे पाहिले कि हमारे साथ कुछ ऐसा -वैसा हो जाए , हमें अपना काम कर लेना है -

यूं तो ये सारी घटनाएं बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हें और देश व् समाज के लिए चिंता का बिषय भी , पर सच पूंछा जाए तो ये मुझे जरा भी विचलित नहीं करती हें , हालांकि इसके सभी दुष्प्रभाव मेरे ऊपर भी उसी तरह सामान रूप से लागू होते हें जैसे की अन्य लोगों के ऊपर .

विचलित नहीं होने का कारण यह नहीं कि मैं बहुत बहादुर हूँ या मुझे जीवन से प्रेम नहीं है पर इसका सामान्य सा कारण सिर्फ यह है कि हम हर दिन ,हर क्षण ,हर पल ही तो खतरे में हें ,हमारे चारों ओर ही तो मौत मुंह बाए खडी है .

चारों और बहता हाई वोल्टेज का करंट , तेज रफ्तार वाहन ,ऊँची-ऊँची इमारतें और इस सब से घिरे हम .

हम सड़क पर चलते हें और प्रतिपल ही तो अनेकों वाहन तेज रफ्तार से हमारे बगल से निकल जाते हें ,और यदि वे कुछ इंच ही अपनी राह से भटक गए तो हम काम पर लग गए .

अब इस और उस खतरे में क्या फर्क है ?

हम जैसे कमजोर प्राणि के लिए तो कोई एक छोटा सा धक्का ही काफी है ., जो हर समय ,हर जगह ही बहुतायत से उपलब्ध है ।

ऐसे में यदि हम अपने जीवन के प्रति गंभीर हें या कोई ऐसा महत्वपूर्ण लक्ष्य हमारे सामने है जो हमें मरने से पाहिले एक बार अवश्य ही प्राप्त करना है ,तो बिना समय गँवाए हमें उस दिशा में काम करना ही चाहिए .

-परमात्म प्रकाश भारिल्ल

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