Saturday, September 24, 2011

जीवन ये लुटता जा रहा है , है अनिश्चित आये कल

प्रति बर्ष,मास,सप्ताह,दिन , प्रत्येक घंटे,मिनिट,पल
जीवन ये लुटता जा रहा है , है अनिश्चित आये कल
रहे गाफिल,नहीं चिंतन , सद उपयोग का यदि लेष है
अफ़सोस तेरी नियति में , पश्चाताप अब भी शेष है

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