Tuesday, October 25, 2011

Parmatm Prakash Bharill: नहीं कुछ कर ही पाने का . हमें अफ़सोस भी क्यों हो

Parmatm Prakash Bharill: नहीं कुछ कर ही पाने का . हमें अफ़सोस भी क्यों हो: नहीं कुछ कर ही पाने का . हमें अफ़सोस भी क्यों हो जो भी हुआ हो जाने का , गौरव भी हमें क्यों हो चाहा तो किसी का भी , कभी भी ना हुआ...

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