Sunday, December 18, 2011

भीड़ आवेग से नियंत्रित होती है , उसके सामने तर्क बेमानी होते हें और तथ्य भोंथरे


भीड़ के अपने तर्क होते हें , अपनी मानसिकता होती है और भीड़ उन्हीं के अनुसार चलती है , भीड़ की मानसिकता को जो समझ जाता है वह नेता बन जाता है . भीड़ को रिझाने के लिए यह जरूरी नहीं क़ि आप सही हों या बेहतर हों यह इस बात पर निर्भर करता है क़ि आपका प्रस्तुतीकरण कैसा है .
भीड़ यह कभी नहीं जान पाती क़ि आप कैसे हें , उसका निर्णय तो इस बात पर निर्भर करता है क़ि आप कैसे दिखाई देते हें . 
भीड़ आवेग से नियंत्रित होती है , उसके सामने तर्क बेमानी होते हें और तथ्य भोंथरे .
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a quotation from my story - " yah to hona hee thaa '

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