लोग कहते हें क़ि " ये क्या नकारात्मक बातें करते हो हमेशा ही "
अरे ! संसार के प्रति सकारात्मक रुख रहेगा तो तू संसार में ही रहेगा .
न तो ये रोने धोने की बातें हें और न ही रोने धोने की जरूरत है , वैराग्य न तो रोने धोने का नाम है और न ही हंसने गाने का , वैराग्य तो आत्मा की रूचि पूर्वक संसार से विमुख होने का नाम है .
यह जो बातें मैं कर रहा हूँ ये तो संसार का सत्य है , इस सत्य का वर्णन न तो द्वेष पूर्वक किया गया है और न ही निराशा का दशा में यह तो अत्यंत विवेकपूर्ण दशा में किया गया है , इसे उसी मनोदशा से ग्रहण करें
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