हमें चिंता सताती है गरीबी मिटाने की , अशिक्षा दूर
करने की , भ्रष्टाचार मिटाने की .
करने की , भ्रष्टाचार मिटाने की .
पर किसकी गरीबी , किसकी अशिक्षा , किसका
भ्रष्टाचार ?
भ्रष्टाचार ?
दूसरों का ?
उसका , जो हमारी पहुँच से दूर सड़क पर खडा है .
पर क्या मात्र वही गरीब , अशिक्षित और भ्रष्ट है , हम
नहीं ?
अरे ! यदि वह गरीब है तो हम भी हें , यदि वह इसलिए
गरीब है क़ि अपने लिए रोटी नहीं खरीद सकता है तो
हम भी वह सब कुछ तो नहीं खरीद सकते हें न जो हम
खरीदना चाहते हें .
अरे ! अपनी समस्त संपदा लुटाकर ही हम अपने लिए
जीवन का एक अतिरिक्त क्षण भी नहीं जुटा सकते और
हम उसे गरीब कहते हें जिसके पास एक भरा पूरा जीवन
है .
किसकी अशिक्षा दूर करने की बात करते हें हम ? यदि
वह अशिक्षित है तो क्या हम नहीं ?
अरे दरिद्रता सिर्फ धन दौलत की ही नहीं होती है , ज्ञान
की भी होती है , संस्कारों की भी होती है , स्वास्थ्य की
भी होती है .
क्या हमारे पास सब कुछ है ? यदि नहीं तो हम भी तो
दरिद्र ही हें .
हम सभी चीजों को मात्र धन दौलत के पैमाने पर तोलने
के आदी हो गए हें ,पर यह तो गलत है .
सिर्फ रुपया पैसा ही तो सब कुछ नहीं , यह तो अनेकों
वस्तुओं में से एक वस्तु है जो मानव के लिए आबश्यक
हें .
क्या हम सब कुछ जानते हें ? नहीं न ?
तो हम अशिक्षित हुए या नहीं ?
फर्क सिर्फ इतना है क़ि कोई कम शिक्षित है कोई थोड़ा
ज्यादा पर अशिक्षित कोई भी नहीं .
यदि हमने पेटी भरना सीख लिया है तो उसने भी तो
अपने इसी जीवन में अपना पेट भरना सीखा है , फिर
वह अशिक्षित कैसे हुआ ?
फर्क सिर्फ इतना है कि हमने कोई एक विद्या सीखी है
और उसने कोई दूसरी .
और भ्रष्टाचार !
क्या मात्र वही भ्रष्ट है जो आपका एक काम करने के
लिए आपसे कुछ अतिरिक्त धन की अनधिकृत मांग
करता है ?
अरे यह तो मात्र धन का भ्रष्टाचार हुआ , पर भ्रष्टाचार
तो चरित्र का भी होता है .
हम सभी तो पथ भ्रष्ट हें तो क्या हम भ्रष्ट नहीं हें ?
क्या हमें हमारे अन्दर बसा यह भ्रष्टाचार दूर नहीं
करना है ?
to be continued -------
No comments:
Post a Comment