Monday, January 2, 2012

हमें चिंता सताती है गरीबी मिटाने की , अशिक्षा दूर करने की , भ्रष्टाचार मिटाने की . पर किसकी गरीबी , किसकी अशिक्षा , किसका भ्रष्टाचार ? दूसरों का ?


हमें चिंता सताती है गरीबी मिटाने की , अशिक्षा दूर 


करने की , भ्रष्टाचार मिटाने की .

पर किसकी गरीबी , किसकी अशिक्षा , किसका 


भ्रष्टाचार ?

दूसरों का ?


उसका , जो हमारी पहुँच से दूर सड़क पर खडा है .


पर क्या मात्र वही गरीब , अशिक्षित और भ्रष्ट है , हम 


नहीं ?


अरे ! यदि वह गरीब है तो हम भी हें , यदि वह इसलिए 


गरीब है क़ि अपने लिए रोटी नहीं खरीद सकता है तो 


हम भी वह सब कुछ तो नहीं खरीद सकते हें न जो हम 


खरीदना चाहते हें .


अरे ! अपनी समस्त संपदा लुटाकर ही हम अपने लिए 


जीवन का एक अतिरिक्त क्षण भी नहीं जुटा सकते और 


हम उसे गरीब कहते हें जिसके पास एक भरा पूरा जीवन 


है .


किसकी अशिक्षा दूर करने की बात करते हें हम ? यदि 


वह अशिक्षित है तो क्या हम नहीं ?


अरे दरिद्रता सिर्फ धन दौलत की ही नहीं होती है , ज्ञान 


की भी होती है , संस्कारों की भी होती है , स्वास्थ्य की 


भी होती है .


क्या हमारे पास सब कुछ है ? यदि नहीं तो हम भी तो 


दरिद्र ही हें .


हम सभी चीजों को मात्र धन दौलत के पैमाने पर तोलने 


के आदी हो गए हें ,पर यह तो गलत है .


सिर्फ रुपया पैसा ही तो सब कुछ नहीं , यह तो अनेकों 


वस्तुओं में से एक वस्तु है जो मानव के लिए आबश्यक 


हें .


क्या हम सब कुछ जानते हें ? नहीं न ? 


तो हम अशिक्षित हुए या नहीं ?


फर्क सिर्फ इतना है क़ि कोई कम शिक्षित है कोई थोड़ा 


ज्यादा पर अशिक्षित कोई भी नहीं .


यदि हमने पेटी भरना सीख लिया है तो उसने भी तो 


अपने इसी जीवन में अपना पेट भरना सीखा है , फिर 


वह अशिक्षित कैसे हुआ ?


फर्क सिर्फ इतना है कि हमने कोई एक विद्या सीखी है 


और उसने कोई दूसरी .


और भ्रष्टाचार !


क्या मात्र वही भ्रष्ट है जो आपका एक काम करने के 


लिए आपसे कुछ अतिरिक्त धन की अनधिकृत मांग  


करता है ?


अरे यह तो मात्र धन का भ्रष्टाचार हुआ , पर भ्रष्टाचार 


तो चरित्र का भी होता है .


हम सभी तो पथ भ्रष्ट हें तो क्या हम भ्रष्ट नहीं हें ? 


क्या हमें हमारे अन्दर बसा यह भ्रष्टाचार दूर नहीं 


करना है ? 


to be continued -------

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