Sunday, January 15, 2012

Parmatm Prakash Bharill: आज बुहारूं अपने घर को , कल फिर कचरा हो जाता

Parmatm Prakash Bharill: आज बुहारूं अपने घर को , कल फिर कचरा हो जाता: ये करना है , बो करना है इसमें जीवन बीता जाता आज बुहारूं अपने घर को कल फिर कचरा हो जाता

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