ना घर में तेल ना बाती , पर दीवाली चली आती
मन तो पीड़ित है मेरा , पर पीड़ा कही नहीं जाती
हम पीड़ा तो सह लेंगे , पर रात नहीं काली होगी
नहीं जलेंगे दीप यदी तो ,क्या दीवाली नहीं होगी
मन तो पीड़ित है मेरा , पर पीड़ा कही नहीं जाती
हम पीड़ा तो सह लेंगे , पर रात नहीं काली होगी
नहीं जलेंगे दीप यदी तो ,क्या दीवाली नहीं होगी
No comments:
Post a Comment