हमारी तरफ इटें उछालते हुए
वे कहते हें " जबाब दो "
अरे भाई ! इंट का जबाब तो
बस पत्थर ही होता है
और ये मत समझ लेना
क़ि दुनिया में पत्थर का टोटा (कमी) है
जबाब तो कोई भी दे सकता है
हम भी दे सकते हें
पर पत्थर कहाँ लगेगा
हम क्या कह सकते हें
जिसके मर्म स्थल पर चोट लगेगी
वह तो विलविलायेगा
और खामखाँ बहते खून का इल्जाम
हमारे सर पर आयेगा
अरे ! जो नेकी का इल्जाम
सुन नहीं सकता
वह खून का क्या सह पायेगा
मौत से नहीं शर्म से ही मर जाएगा
इसलिए बस
हम सुनते तो रहते हें , कुछ भी नहीं कहते हें
अब और क्या बतलाऊं
हम क्यों खोये खोये से रहते हें
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