-----अब प्रसंग आ ही गया है तो इस " उजले ओर काले " की भी व्याख्या कर ही डाली जाए -
मैं समझ ही नहीं पाता हूँ क़ि किसे तो " उजला " कहा जाए ओर किसे " काला " .
अच्छा भला दिन यदि चैन से सोते हुए बीत जाए तो सुकून नहीं मिलता , ऐसा लगता है क़ि दिन काला हो गया ओर इसके विपरीत यदि घोर अलसाई सन्नाटे भरी रात कोई सार्थक काम करते हुए भी बीते तो हम कहते हें क़ि रात काली हो गई .
कोई तो कहे क़ि काम करना हमारा आदर्श है या सोना .
दिन में सो जाएँ तो दिन काला हो जाता है ओर रात में काम करें तो रात काली हो जाती है .
(एक कहानी जो अभी अधूरी ही लिखी गई है उसीका एक अंश )
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