Thursday, June 28, 2012

Parmatm Prakash Bharill: हमारी ख्बाहिश और हमारी करतूतों में तालमेल ही कहाँ ...

Parmatm Prakash Bharill: हमारी ख्बाहिश और हमारी करतूतों में तालमेल ही कहाँ ...: हमारी ख्बाहिश और हमारी करतूतों में तालमेल ही कहाँ है ? हम चाहते कुछ और हें और करते कुछ और हें . हम चाहते हें सुख और शुकून और कृत्य ऐसे ...

No comments:

Post a Comment