यदि अंतिम दिन हो यह जीवन का , कैसे जीना चाहोगे
क्या खेल कूद में या सोकर , यूं ही इसे बिताओगे
प्रतिदिन यदि तू वही करेगा,जो उस दिन करना चाहेगा
सच्चा मानव तभी बनेगा , इस जीवन का फल पायेगा
तब नहीं झूंठ , छल ,चोरी सूझे , किससे झगडा या यारी
ना उलझेगा व्यर्थ किसी से , भांप समय की लाचारी
------------------------------ ------------------------------ -
------------------------------ ------------------------------ --
क्या खेल कूद में या सोकर , यूं ही इसे बिताओगे
प्रतिदिन यदि तू वही करेगा,जो उस दिन करना चाहेगा
सच्चा मानव तभी बनेगा , इस जीवन का फल पायेगा
तब नहीं झूंठ , छल ,चोरी सूझे , किससे झगडा या यारी
ना उलझेगा व्यर्थ किसी से , भांप समय की लाचारी
------------------------------
------------------------------
No comments:
Post a Comment