Thursday, July 19, 2012

यदि अंतिम दिन हो यह जीवन का , कैसे जीना चाहोगे क्या खेल कूद में या सोकर , यूं ही इसे बिताओगे

यदि अंतिम दिन हो यह जीवन का , कैसे जीना चाहोगे 
क्या खेल कूद में या सोकर , यूं ही इसे बिताओगे 
प्रतिदिन यदि तू वही करेगा,जो उस दिन करना चाहेगा
सच्चा मानव तभी बनेगा , इस जीवन का फल पायेगा 

तब नहीं झूंठ , छल ,चोरी सूझे , किससे झगडा या यारी 
ना उलझेगा व्यर्थ किसी से , भांप समय की लाचारी 
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