जब तक आत्मा तेरी सूची में सबसे ऊपर नहीं होगा और आत्महित तेरी प्रथम प्राथमिकता नहीं होगी तब तक कुछ नहीं हो सकता है .
अभी तक तो ये दोनों ही तेरी सूची में हें ही नहीं .
आत्मा को तो तू पहिचानता ही नहीं है , तुझे तो उसका अस्तित्व ही स्वीकार नहीं है
अभी तक तो ये दोनों ही तेरी सूची में हें ही नहीं .
आत्मा को तो तू पहिचानता ही नहीं है , तुझे तो उसका अस्तित्व ही स्वीकार नहीं है
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