सत शिव सुन्दर पा चुके हो ,
घड़ी न बापिस आनी
खड़ी किनारे ज़रा भी सुनले
सुनले ये नई जबानी
महल का राजा , रंक भी सुनले
सुनले दुनिया सारी
निष्कंटक मुक्ती का पन्था
उलझन है दुनियांदारी
घड़ी न बापिस आनी
खड़ी किनारे ज़रा भी सुनले
सुनले ये नई जबानी
महल का राजा , रंक भी सुनले
सुनले दुनिया सारी
निष्कंटक मुक्ती का पन्था
उलझन है दुनियांदारी
No comments:
Post a Comment