पर की ओर देखने पर मात्र विकारों की ही उत्पत्ती होती है .
कभी क्रोध या प्यार (हाँ प्यार भी विकृति ही है , रोग ही है , जलाता ही है )
कभी मान या दीनता .
कभी छल कपट की भावना .
कभी लोभ , कुछ पाने की चाहत या खो जाने का भय .
कभी डर और असुरक्षा .
कभी उसे दूर करने या नष्ट कर देने की भावना .
कभी हीनता , कभी उच्चता की भावना .
कभी क्रोध या प्यार (हाँ प्यार भी विकृति ही है , रोग ही है , जलाता ही है )
कभी मान या दीनता .
कभी छल कपट की भावना .
कभी लोभ , कुछ पाने की चाहत या खो जाने का भय .
कभी डर और असुरक्षा .
कभी उसे दूर करने या नष्ट कर देने की भावना .
कभी हीनता , कभी उच्चता की भावना .
No comments:
Post a Comment