Saturday, August 11, 2012

कोई यह न समझे क़ि दान देने से हमेशा ही मात्र पुन्य लाभ ही होता है , कुपात्र को दिया गया दान आपको महा पाप में भी धकेल सकता है


----------------------------ऐसा तो है नहीं क़ि हमारे पास उपलब्ध पैसा हमें अखर रहा है , परेशान कर रहा है , रखने की जगह नहीं है और संभालने की फुर्सत नहीं है इसलिए हमें तो वह किसी को दे देना है और फिर उसका क्या होता है उसकी चिंता हम क्यों करें , हमें तो छुटकारा मिल गया .
पैसे की तो अनन्त महिमा हमारे संस्कार में है , पैसा तो हमें अभी और चाहिए , हम दिन रात ही तो इसी चिंतन में लगे रहते हें क़ि किस प्रकार और - और अधिकतम पैसा कमाया जाए . ऐसे में यदि हम दान देने निकले हें तो इसलिए नहीं क़ि हमें तो बस किसी भी तरह से पैसा ठिकाने लगाना है वल्कि इसलिए क़ि हमारा पैसा किसी सबसे अच्छे काम में लगे , समाज के उपयोग में आये और हमें भी पुण्यलाभ हो .
जब हम दान देने के लिए निकालते हें तो ठीक वही समस्या एक ब़ार फिर हमारे सामने आती है क़ि आखिर दान किसे दें , किस काम के लिए दें ? इसका सबसे अच्छा उपयोग क्या हो सकता है और कौन सक्षम है इसका सबसे उपयुक्त ढंग से उपयोग करने में ? दान ग्रहण करने का सबसे उपयुक्त पात्र कौन है और वह उसका उपयोग किस काम में करेगा ?
होता यह है क़ि हमारे पास हमेशा की तरह ही वक्त कम होता है और उपयुक्त जानकारी का अभाव भी होता है , पर दान तो हमें देना ही है सो जो भी सामने आता है और हमें कुछ भी समझा देता है हम अपना धन उसके हवाले करके अपने कर्तव्य की इति श्री  मान लेते हें , समझ लेते हें क़ि दान हो गया , हमें पुन्य मिल गया और बस अब तो हमें स्वर्ग में red carpet welcome मिलेगा .
हमने कभी यह तो जाना ही नहीं क़ि दान की प्रक्रिया यहीं पूरी नहीं हो जाती है , वल्कि हमारे दिए गए दान का उपयुक्त और सही उपयोग हुआ है या नहीं इस पर नजर रखना भी हमारी ही जिम्मेबारी है और दुरूपयोग होने की स्थिति में पाप के ( दण्ड के भी ) भागी हम भी होंगे .
क्या कहा ? यह बात समझ में नहीं आयी , स्वीकार नहीं होती है ? अभी समझ में आ जायेगी .
मान लीजिये आपने जिसे दान राशि दी है वह व्यक्ति यदि उसका उपयोग किसी आतंकबादी गतिविधि में करें तो क्या होगा ? पुलिस आपको नहीं पकड़ेगी . दण्ड नहीं मिलेगा ?
इसमें आपकी गलती क्या थी ? 
यह़ी न ; क़ि आपने ध्यान ही नहीं दिया क़ि आपके दिए गए धन का क्या उपयोग हो रहा है , उसका दुरूपयोग हुआ और आप दण्ड के पात्र बन गए .
बस यह़ी नियम सर्वत्र लागू होता है . यदि आपके दिए गए धन का उपयोग कोई व्यसनों या पाप कार्य में करता है तो आप भी उस पाप कार्य में भागीदार बन जाते हें , इसके विपरीत आपके दिए गए धन का उपयोग यदि उत्कृष्टतम ( best ) काम में होता है तो आपको सर्वोतम ( the best ) पुन्य लाभ होता है .
यह सब उसी प्रकार से है जैसे क़ि यदि आप घटिया उत्पाद ( product ) खरीद लाये तो परेशानियां आपको ही भोगनी होंगी और यदि उत्पाद ( product ) अच्छा लिया है तो आराम भी आपको ही मिलेगा .-----------------------------
-a part of a long article 

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