तो लो ! आखिर जीवन का यह अंतिम दिन आ ही गया .------------------मुझे जीवन का इतना भरोसा था ही कब : जितना मैं मौत के प्रति आश्वस्त था .----------------सचमुच तो यह मौत का अंतिम दिन है .
दर असल मैं जिया ही कब ?
प्रतिपल मरता ही तो रहा .
जीवन भर मौत को ही तो याद करता रहा .
हलांकि वह निष्ठुर आयी नहीं , और अब आ गयी है तो टलती नहीं .
दर असल मैं जिया ही कब ?
प्रतिपल मरता ही तो रहा .
जीवन भर मौत को ही तो याद करता रहा .
हलांकि वह निष्ठुर आयी नहीं , और अब आ गयी है तो टलती नहीं .
to read in full , pls click my page on fb-
No comments:
Post a Comment