कोयले की दलाली संदेह तो जगाती है .
पर संदेह निर्णय में कैसे बदलेगा ?
चर्चा से , सवाल - जबाबों से .
हमने आपको चर्चा करने के लिए चुना है , हमारी ओर से .
आप चर्चा ही नहीं करना चाहते हें , क्यों ?
संसद है किसलिए ?
पहलवानी तो अखाड़े में शोभा देती है , संसद में नहीं ?
कहीं गलती हमसे ही तो नहीं हो गई ?---------------- चुनने में !
देश के प्रधान मंत्री को बोलने का अवसर न मिले , बोलने न दिया जाबे ?
सारे देश को अँधेरे में रखकर क्या कोई इस तरह शासन का अपहरण कर सकता है ?
क्या यह न्याय के प्राथमिक सिद्दांत का भी उलंघन नहीं है ?
आरोपी को अपनी बात कहने का अवसर दिए बिना ही सजा सुना दी जाबे ?
यह कैसी देश भक्ति है ?
यह कौनसी नैतिकता है ?
क्या यह देश सेवा है ?
देश को अस्थिर करना ?
शासन को पंगु बना देना क्या देश को अनाथ कर देने जैसा नहीं है ?
देश का प्रधान मंत्री यदि देश की संसद के सामने अपनी बात नहीं रख पाता है तो अनेक सवाल खड़े होते हें -
- शासन की शक्ति पर सवाल है ये
- इस लोकतंत्र की व्यवस्था पर सवाल है ये
- विपक्ष की न्यायप्रियता , नियत और समझ पर सवाल है ये
सरकार का अपराधी साबित होना अभी बाकी है पर विपक्ष उक्त अपराध का तयशुदा अपराधी है .
पर संदेह निर्णय में कैसे बदलेगा ?
चर्चा से , सवाल - जबाबों से .
हमने आपको चर्चा करने के लिए चुना है , हमारी ओर से .
आप चर्चा ही नहीं करना चाहते हें , क्यों ?
संसद है किसलिए ?
पहलवानी तो अखाड़े में शोभा देती है , संसद में नहीं ?
कहीं गलती हमसे ही तो नहीं हो गई ?---------------- चुनने में !
देश के प्रधान मंत्री को बोलने का अवसर न मिले , बोलने न दिया जाबे ?
सारे देश को अँधेरे में रखकर क्या कोई इस तरह शासन का अपहरण कर सकता है ?
क्या यह न्याय के प्राथमिक सिद्दांत का भी उलंघन नहीं है ?
आरोपी को अपनी बात कहने का अवसर दिए बिना ही सजा सुना दी जाबे ?
यह कैसी देश भक्ति है ?
यह कौनसी नैतिकता है ?
क्या यह देश सेवा है ?
देश को अस्थिर करना ?
शासन को पंगु बना देना क्या देश को अनाथ कर देने जैसा नहीं है ?
देश का प्रधान मंत्री यदि देश की संसद के सामने अपनी बात नहीं रख पाता है तो अनेक सवाल खड़े होते हें -
- शासन की शक्ति पर सवाल है ये
- इस लोकतंत्र की व्यवस्था पर सवाल है ये
- विपक्ष की न्यायप्रियता , नियत और समझ पर सवाल है ये
सरकार का अपराधी साबित होना अभी बाकी है पर विपक्ष उक्त अपराध का तयशुदा अपराधी है .
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