Friday, August 2, 2013

विजय श्री तत्पर रहे ,तुम्हारा वरण करने के लिए


पुत्र अनेकांत को जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 
(कविता )
विजय श्री तत्पर रहे ,तुम्हारा वरण करने के लिए 
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 


ना जिन्दगी हमको मिली है , बोझ  ढ़ोने  के लिए 
ना कोई भी कारण मिले, इक पल भी रोने के लिए 
प्रति प्रात जब सूरज उगे , प्रभात  करने  के  लिए 
अंधेरा कहीं ना टिक सके,कालिख उगलने के लिए 
चन्दा भी लालायित रहे , आताप  हरने  के  लिए 
विजय श्री तत्पर रहे ,तुम्हारा वरण करने के लिए 

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