Thursday, September 13, 2012

बस यह़ी क्रम चलता रहेगा , कोई दिया बुझेगा तो कोई जलता रहेगा


भले ही हम एक ही कश्ती पर सबार हें 
पर किसी की सुबह , किसी की सांझ हो रही है 
आधों की तो दोपहर हो चुकी है 
आधी दुनिया अभी सो रही है 

सच है , कभी ये नजारा बदल जाएगा 
हर आदमी दूसरे के रोल में नजर आयेगा 
जो थक रहे हें उन्हें नींद आयेगी 
और सोई दुनिया जाग जायेगी 

बस यह़ी क्रम चलता रहेगा 
कोई दिया बुझेगा तो कोई जलता रहेगा 

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