Thursday, September 27, 2012

हम अपनी बुद्धी पर इतने पहरे बिठा लेते हें क़ि

हम अपनी बुद्धी पर इतने पहरे बिठा लेते हें क़ि सद्विचारों और सद्भाग्य को भी प्रवेश मिलना असंभव हो जाता है .

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