मैं पूरियों से उबकर , पराठों पर आता हूँ
उनसे थकता हूँ तब सूखी रोटियाँ खाता हूँ
हर हफ्ते बस यह़ी कथा दोहराई जाती है
सारी दुनिया बस इनमें सिमटी नजर आती है
उनसे थकता हूँ तब सूखी रोटियाँ खाता हूँ
हर हफ्ते बस यह़ी कथा दोहराई जाती है
सारी दुनिया बस इनमें सिमटी नजर आती है
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