Thursday, January 24, 2013

जीवन में शन्ति पाने के लिए कोई भी कीमत चुकी जा सकती है , क्योंकि सुबह से शाम तक जीवन भर हमारे सारे प्रयत्न शांति पाने के लिए ही तो होते हें ,फिर भी शांति मिलती नहीं है , तब यदि किसी भी कीमत पर शांति मिल सकती हो तो वह सस्ती है .

जीवन में शन्ति पाने के लिए कोई भी कीमत चुकी जा सकती है , क्योंकि सुबह से शाम तक जीवन भर हमारे सारे प्रयत्न शांति पाने के लिए ही तो होते हें ,फिर भी शांति मिलती नहीं है , तब यदि किसी भी कीमत पर शांति मिल सकती हो तो वह सस्ती है .
हम भी कितने नादान हें कि बैठे-ठाले बिना किसी कारण के शांति भंग करते रहते हें ; अपनी और औरों की .
कोई यह मानने की गल्ती न करे कि वह दूसरों की शांति भंग करके स्वयं सुखी रह सकता है .
इसका एक बडा कारण यह है कि हम अपने जीवन की प्राथमिकताएं और लक्ष्य तय नहीं करते हें . हम सुख और शान्ति चाहते हें , दिन रात उसके पीछे भाग भी रहे हें पर हमें यह मालूम नहीं है की हम क्या और किसलिए कर रहे हें ;बस इसलिए हमारी गतिबिधियाँ ऐसी होती हें जो हमें अपने सुख और शान्ति पाने के लक्ष्य से विमुख करती रहती हें .
दर असल्होना तो यह चाहिए की हम अपना हर कदम उठाने के पहिले इस बात का निर्णय करें कि क्या हमारा यह कदम शान्ति लाएगा , कहीं यह शान्ति भंग करने का निमित्त तो नहीं बन जाएगा ? यदि ऐसा होता है तो हम कतई वह काम न करें . 
डाक्टर हमें ऐसी दवा नहीं देता है जो एक बीमारी दूर करे और दूसरी बीमारी पैदा करदे . क्या यही नीति हमें अपनी जीवन में नहीं अपनानी चाहिए ? 
अरे लड़ाई-झगडा या तकरार हमें कदाचित कोई चीज दिलबा भी दे पर उससे पाहिले तकरार हमारी शान्ति तो भंग कर ही देती है न और यदि शान्ति भंग की कीमत पर कुछ भी मिल गया वह किस काम का ?
जब मैं जगत के लोगों को बिना बात ही कदम-कदम पर स्वयं की और औरों की शान्ति भंग करते देखता हूँ तो मुझे उनकी दुर्बुद्धि और दुर्भाग्य पर बहुत अफ़सोस होता है .
इसलिए हे जगत के लोगों ! विवेक से काम लें और अन्जाने ही स्वयं ही अपनी सुख शान्ति में बाधक बन्ने से बचें .

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