Friday, March 1, 2013

हम सोचते हें कि हम उसे सबक सिखा रहे हें .

हम सोचते हें कि हम उसे सबक सिखा रहे हें .
अरे वह तो आपकी इन हरकतों से बेखबर अपने में मस्त हें , दरअसल आप अपने आप को सजा दे रहे हें , उसके बारे में सोचने में अपना वक्त बर्बाद करके और घ्रणा , द्वेष और क्रोध की आग में अपने आप को जलाकर .
न सही बेखबर , माना की वह भी परेशान हो रहा है पर इससे तेरी परेशानी कहाँ कम होती है भाई !
खामखाँ ! भगवान् को छोड़कर उसका नाम जपता रहता है तू !
आखिर हम ऐसा करते क्यों हें ?
उनके बारे में क्यों नहीं सोचते हें जो हमें प्रिय हें , जो हमारे आदर्श हें , जिनके चिंतन मात्र से हमें शांति मिलती है .

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