क्या गारंटी कि आत्मा होता है ?
क्या गारंटी कि वह अमर है ?
क्या गारंटी कि पुनर्जन्म होता है ?
मैं ही इस आत्मा - फातमा के चक्कर में क्यों पडूं ?
अरे ! तू है न आत्मा ?
होता क्या है ; तू स्वयं आत्मा है न ?
तू कोई भूत थोड़े ही है .
और हाँ ! आत्मा की अमरता की गारंटी चाहिए तुझे , तब तू उसके लिए कुछ करेगा न ?
इस देह की अमरता की गारंटी तो तेरे पास होगी , इसीलिये दिन -रात २ घंटे इसके लिए मरा जा रहा है न ?
अरे ! इस देह की तो नश्वरता की गारंटी जग जाहिर है दोगले ! पर इसकी संभाल में तो दिन रात लगा रहता है और आत्मा का नाम आने पर बातें बनाने लगता है !
और हाँ ! चिन्ता न कर , ये आत्मा अमर है .
और पुनर्जन्म का प्रमाण चाहिए न तुझे ?
अरे ! पहिले इस जन्म का प्रमाण तो दिखा ?
आत्मा का ( अस्तित्व का ) भरोसा नहीं , देह का भरोसा नहीं , जीवन का एक पल का भरोसा नहीं और इस पर मर - मिटा जा रहा है और अब पुनर्जन्म की गारंटी चाहिए ?
अरे ! क्या करेगा ऐसा जन्म फिर से लेकर ?
हम तो पुनर्जन्म न होने की गारंटी देने को तैयार हें , एक बार अपनी आत्मा की सुध तो ले !
इस ओर ध्यान तो दे !
हम तो जन्म - मरण का नाश करने की बात करते हें , पुनर्जन्म की क्या जरूरत है ?
पर हाँ ! यह निश्चित है कि यदि अपने ( आत्मा के ) स्वरूप को नहीं समझेगा तो पुनर्जन्म अवश्य होगा , एक बार नहीं अनंत बार .
पर जरूरी नहीं कि मनुष्य के रूप में होगा , फिर से मनुष्य बने ऐसे तो लक्षण तेरे दीखते नहीं हें , जैसे कर्म किये होंगे उसके अनुरूप होगा .
जन्म - मरण का नाश चाहता है तो अपने स्वरूप का निर्णय कर !
तुझे हर चीज की गारंटी चाहिए न ?
इस देह की गारंटी तुझे किसने दी , इसके लिए तो तू पूरी तरह समर्पित है .
इस भूंख की गारंटी तुझे किसने दी ?
क्या तूने कभी गारंटी माँगी कि एक बार भोजान देता हूँ पर गारंटी दे कि फिर कभी भूंख न लगेगी ?
अच्छा चल यही गारंटी ले ले कि इतनी तीव्रता से भोजन मांग रही है ये भूंख , भोजन तो दूंगा , भरपूर दूंगा , पर जितना दूंगा उतना खायेगी तो न ? इन्कार तो नहीं करेगी ?
अरे ! इस बात की गारंटी है कि थोड़ी ही देर में हथियार डाल देगी .
चल ठीक है
फिर तो दुबारा न मांगेगी न ?
अरे ! इस बात की भी गारंटी है कि कुछ ही पलों में फिर यह भूंख - भूंख चिल्लाएगा .
और ये नींद !
पल में झोंके आते हें , पल में उड़ जाती है .
न सोते रहने की गारंटी और न जागते रहने की .
पड़े - पड़े थक जाता है , पल में दौड़ने को चाहिए , पल में फिर आराम चाहिए .
पल में गर्मी सताती है , पल में सर्दी परेशान करने लगती है
अब तक तेरे पास किसकी गारंटी है जो अब हमसे गारंटी मांगने चला है , बोल !
फिर भी है , हमारी हर बात की गारंटी है .
इन बेईमानों के साथ डील करते - करते तेरी यह हालत हो गई है कि तुझे अब किसी पर भरोसा ही नहीं रहा , अपने आप पर भी नहीं , इसीलिये तो सबसे गारंटी माँगता है .
अपने आत्मा से , गुरुओं से , आचार्यों से , गणधर देव से , सर्वज्ञ देव से गारंटी माँगता है .
जा ! गारंटी देता हूँ !
मैं सर्वज्ञ देव की ओर से गारंटी देता हूँ कि यह आत्मा अमर है , अनंत गुणों की खान है , अनंत सुखमय है , इसका स्वरूप समझकर इसमें ही लीन हो जा , तेरा अविनाशी कल्याण होगा .
और हाँ ! अब छल न करना !
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