Thursday, March 7, 2013

जब अधिकतम लोगों का अधिकतम लोगों के प्रति व्यवहार नापसंद किये जाने लायक बुरा होगा तब यह दुनिया यह दौर सुहाना कैसे हो सकता है ?

क्या सभी की तरह ही आपको भी इस दुनिया से शिकायत है कि यह रहने लायक स्थान नहीं है ?
जानते हें ऐसा क्यों है ?
क्या इसे बेहतर बनाया जा सकता है ?
क्या करना होगा इसके लिए ?
यह सब करेगा कौन ?
हाँ ! अन्जाने लोगों के साथ भी मात्र मधर व्यवहार ही किया जाना जरूरी है , क्योंकि अधिकतम लोग तो अन्जाने ही हें , यदि उनसे कठोर व्यवहार किया जाता है तब तो यह दुनिया मात्र कठोर व्यव्हार वाली जगह बनकर ही रह जायेगी .
और यह सब हमें करना होगा .
जीवन में मिलने वाले अनगिनत लोगों में से हम सिर्फ कुछ ही लोगों को पसंद कर पाते हें और उनमें से भी मात्र कुछ लोगों से ही निभा पाते हें .
उन कुछ चुनिन्दा लोगों को छोड़कर अन्य लोगों के प्रति हमारे मन में एक उपेक्षा भाव सा बना रहता है .
" द्वेष अरोचक भाव " की उक्ती से विचार करें तो हम कह सकते हें कि हम उन सभी से द्वेष रखते हें , और सच भी तो है - जिनकी हमें कुछ पडी नहीं है , जिनकी हमें परवाह नहीं है , जिनके सुख-दुःख से कोई वास्ता नहीं है , जिनके लिए कुछ करना तो दूर पर उनकी बारे सोचना तक हमें नापसंद है , उनसे हमें द्वेष है यह कहना उचित ही है .
जाहिर है कि उन बहुसंख्यक (हमारी नापसंदगी वाले) लोगों की हरकतें और व्यवहार हमारे प्रति भी हमें पसंद न आने लायक ही होता है , और हम भी उनके प्रति कुछ इसी तरह का व्यवहार करते हें .
इस प्रकार हम पाते हें कि मात्र कुछ अपवादों ( हमारे प्रियपात्र ) को छोड़कर अन्य अनगिनत लोगों के प्रति हम सभी का व्यवहार नापसंदगी के लायक ( बुरा ) ही होता है .
जब अधिकतम लोगों का अधिकतम लोगों के प्रति व्यवहार नापसंद किये जाने लायक बुरा होगा तब यह दुनिया यह दौर सुहाना कैसे हो सकता है ?
इस प्रकार यह दुनिया मात्र दुर्व्यवहार वाली क्रूर जगह बनकर ही रह जाती है .
अगर हम चाहते हें की यह दुनिया शुकून से रहने लायक अच्छी जगह बने तो हमें ( हम सभी को ) हर जाने - अन्जाने व्यक्ति के प्रति अपना व्यवहार मधुर रखना होगा , जब बहुतायत लोग ऐसा करेंगे तो दुनिया एक बेहतर स्थान होगी ही .
यह हमारे अपने ही हित की बात है .
छोटा सा मामोली दिखने वाला यह काम साधारण और छोटा काम नहीं , यह महान क्रान्ति है .
यह युग को बदलने वाली बात है , देश और समाज को बदलने का काम है
यही सच्ची मानव सेवा है , समाज सेवा हैऔर देश सेवा भी .

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