हमको नजर आता सुनहरा , कल जो कल ही आयेगा
(कविता )
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
हमको नजर आता सुनहरा , कल जो कल ही आयेगा
छंट रहा है अब अंधेरा , बो कल तक न जाने पायेगा
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
हमको नजर आता सुनहरा , कल जो कल ही आयेगा
छंट रहा है अब अंधेरा , बो कल तक न जाने पायेगा
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