खता करके खता अपनी ,इस तरह से क्यों भूल जाते हें लोग
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
खता करके खता अपनी ,इस तरह से क्यों भूल जाते हें लोग
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
खता करके खता अपनी ,इस तरह से क्यों भूल जाते हें लोग
मुसीबत में हूँ,पता चलते ही,मेरा पता क्यों भूल जाते हें लोग
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