यूं प्यार मिलता कहाँ है , जब प्यार से बुलाते हें लोग
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
यूं प्यार मिलता कहाँ है , जब प्यार से बुलाते हें लोग
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
यूं प्यार मिलता कहाँ है , जब प्यार से बुलाते हें लोग
स्वयं कददू सा लगता हूँ , चाकू से नजर आते हें लोग
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