Monday, August 5, 2013

स्वयं कददू सा लगता हूँ , चाकू से नजर आते हें लोग

यूं प्यार मिलता कहाँ है , जब प्यार से बुलाते हें लोग 
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

यूं प्यार मिलता कहाँ है , जब प्यार से बुलाते हें लोग 
स्वयं कददू सा लगता हूँ , चाकू से नजर आते हें लोग 

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