Wednesday, August 14, 2013

आजादी के मायने हें - " अन्यों के हितों को क्षति पहुंचाए बिना अपने हित सुरक्षित रखने की आजादी "

हालाँकि 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों  हमें  आजाद कर दिया पर हम आजाद हुए कहाँ ?
गुलामी तो हमारे रोम - रोम में समाई हुई है। 
वे अंग्रेज तो चले गए पर इन अंग्रेजों का क्या करें जो हमारे चारों और बसे हुए हें ? इन्हें कहाँ भेज दें ?
हम सभी तो एक दुसरे के लिए अंग्रेज बने हुए हें। 

आजादी के मायने हें - " अन्यों के हितों को क्षति पहुंचाए बिना अपने हित सुरक्षित रखने की आजादी "
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

आज हम सभी तो एक दुसरे के हितों को खंडित करने में लगे हुए हें और इसी प्रक्रिया में अपने ही हितों की वलि चड़ा चुके हें। 

हममें से कोई भी तो दूसरे को स्वतंत्र नहीं देखना है , सभी एक दूसरे के अपने आधीन रखना चाहते हें और इस प्रक्रिया में एक दुसरे की आजादी खंडित करने में लगे हुए हें। 

जब कोई योद्धा युद्ध में लड़ते हें तो उनका उद्देश्य होता है अन्यों को ( शत्रु को ) क्षति पहुंचाना , पर इस प्रक्रिया में वे स्वयं भी तो घायल हो जाते हें। 
वे अकेले तो किसी एक से लड़ पाते हें पर उनके ऊपर तो कई लोग एक साथ आक्रमण कर रहे होते हें , ऐसे में अपने आप को सुरक्षित रख पाना कैसे संभव है ?
हम आजादी के पक्षधर नहीं हें , हम मात्र अपनी आजादी के इक्क्षुक हें। 
पर यह संभव नहीं , अन्यों को बाँधने की प्रक्रिया में हम भी तो उनसे बंध जाते हें। 
दूसरों को गुलाम बनाने के फेर में हम भी तो उन्हीं से उलझे रहते हें। 
यदि हमें आजाद होना है और बने रहना है तो दूसरों की आजादी का सम्मान तो करना ही होगा , यदि हम सभी ऐसा करेंगे तो हम सभी अपनी आजादी सुरक्षित रख पायेंगे। 

आजादी पाने से पहिले आजादी देने की पहल आवश्यक है , हमारे अपने संस्कारों में अन्यों की आजादी की स्वीकृति जरूरी है। 

आज हम सही मायनों में स्वतंत्र हों यही कामना है। 

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