Wednesday, September 11, 2013

भगवान् 'मैं''यह आत्मा वा , आस्रावादि अन्य हें

आत्मा यह भिन्न है , क्रोधादि आस्रव भिन्न हें 
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

आत्मा यह भिन्न है , क्रोधादि आस्रव भिन्न हें 
भगवान् 'मैं''यह आत्मा वा , आस्रावादि अन्य हें 
समझा नहीं ,भूला रहा मैं , संसार में भरमा रहा 
मंझधार  में  भ्रमता  रहूँ , मैं ना किनारा पा रहा 

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