Thursday, September 26, 2013

अरे ! सारी दुनिया के उच्छिष्ट से तेरा उच्छिष्ट किस मायने में विशिष्ट है ?

कौनसी यादें संजोना चाहते हें आप ?
और फिर किसके लिए ?
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

ऐसे कौनसे अजूबे हें आप ?
और ऐसा क्या अजूबा किया है आपने , जिसे संजोना चाहते हें ?
जो आपने किया है क्या वह ऐसा है जिसे लोग अपने को भूलकर , अपने वर्तमान को छोड़कर याद करेंगे ?
जो आपने अब तक किया है और निरंतर कर रहे हें वह तो ऐसा कूड़ा - करकट है जो सारी दुनिया निरन्तर ही तो बहुतायत से पैदा कर रही है !
अरे ! सारी दुनिया के उच्छिष्ट से तेरा उच्छिष्ट किस मायने में विशिष्ट है  ?
किन स्मृतियों को संजोना चाहता है तू !

सारी दुनिया में प्रतिपल इतने घटनाक्रम घटित हो रहे हें कि उनका अनंतबाँ भाग भी हम जान नहीं सकते हें , और अगले पल ?
अगले पल तो फिर अनंत नए घटनाक्रम घटित होंगे .
अब तू ही बतला कि तुझे या किसी को कब पीछे मुड़कर देखने की फुर्सत मिलेगी ?
अरे ! साम्राज्य आये और चले गए , सम्राट आये और चले गए .
क्या - क्या नहीं किया उन्होंने ?
महानतम कृत्य एवं जघन्यतम कृत्य ?
तू उनमें से किसकी बराबरी कर सकता है ?
बराबरी न सही , क्या उसका १ प्रतिशत भी कर सकता है तू ?
तब लोगों को यदि याद ही करना है तो उन्हें करेंगे या तुझे ?

अरे छोड़ यह सब इतिहास बनाने का व्यामोह !

अपने आप को संभाल ! अपने वर्तमान को संभाल , अपने भविष्य का विचार कर .

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