Thursday, October 10, 2013

क्यों बंध का न निरोध हो तब,बस ज्ञान से ही अरे

जो भिन्न जाने आत्मा को , आश्रवादि भाव से 
वह ज्ञान तो सुज्ञान है , अज्ञान या उसको कहें 
यह ज्ञान यदि निवृत: है ,  आश्रवादि  भाव  से 
क्यों बंध का न निरोध हो तब,बस ज्ञान से ही अरे 

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