Friday, June 27, 2014

Parmatm Prakash Bharill: शायद इस धरा पर पाप क्रत्यों की शुरुआत ही मुझसे ही ...

Parmatm Prakash Bharill: शायद इस धरा पर पाप क्रत्यों की शुरुआत ही मुझसे ही ...: इस रचना के माध्यम से मैंने अपने और हम सबके अन्दर झाँकने का प्रयास किया है , अपने पाप कर्मों और कुतर्कों के सहारे उन पापों के पोषण के प्रया...

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