Thursday, June 11, 2015

"काम जो होना अरे, वह कामतो होकर रहेगा"

"काम जो होना अरे, वह कामतो होकर रहेगा"
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल

वक़्त ने सिखला दिया, इतना कब पढे थे हम 
ये लोग तो फिर जुड़े,  अकेले ही  चले थे हम 
उठकर चले, चलकर गिरे, रोजकी ये बात है
जानता कोई नहीं,कहाँ कब-कब गिरे थे हम 

ये लोग जो अब साथ हैं, जो  आज  मेरे  हैं 
कैसे जुटे हैं, तुम क्या जानो, कैसे बटोरे हैं
जोड़ता था  एक को  तो , दो  बिछडते  थे 
अब  एकको मैं छोड़ता हूँ , चार मिलते हैं 

सीखकर ना  कोई आता , अरे  माँ की कोख से 
ना ज़िन्दगीभर सीखपाता,जो भूलकरने से डरे
भूलकर जो  भूल का डर, चलपडा वह वढ गया
जो भूल से डरता रहे , वह क्रत्य कुछ कैसे करे 

गल्तियां  हमसे  न  हों , कितने  डरे थे  हम 
अबतक न कोई कर सका, क्रत्य बे करेंगे हम
यह संकल्प ही तो बस प्रथम , भूल  मेरी थी 
भूल कर-कर हम ये सीखे,ना भूलसे डरेंगे हम 

काम जो होना अरे, वह कामतो होकर रहेगा
तू करे  या  मैं करूँ , या  और ही कोई करेगा 
किसने किया कैसे हुआ,लोकको चिन्ता नहीं 
चाहा जो होगया तो,लोक ये जय-जय कहेगा

Meruth - Tuesday, 9 th June, 1.55 am 

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