दरिद्री कौन ?
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
जिसे जितना कम चाहिए वह उतना ही अधिक सम्पन्न है।
जिसे कुछ नहीं चाहिए वह सम्पूर्ण है।
क्यों ?
क्योंकि वह अपने में कमी महसूस ही नहीं करता है।
जिसे जितना अधिक चाहिए वह उतना ही बड़ा दरिद्री है क्योंकि वह अपने पास उतनी ही अधिक कमी महसूस कर रहा है ।
किसके पास कितना, क्या है या नहीं है, इस बात से उनके सम्पन्न या दरिद्री होने का कोइ सम्बन्ध नहीं है क्योंकि कुछभी किसीका नहीं है, प्रत्येक कण स्वतंत्र है।
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
जिसे जितना कम चाहिए वह उतना ही अधिक सम्पन्न है।
जिसे कुछ नहीं चाहिए वह सम्पूर्ण है।
क्यों ?
क्योंकि वह अपने में कमी महसूस ही नहीं करता है।
जिसे जितना अधिक चाहिए वह उतना ही बड़ा दरिद्री है क्योंकि वह अपने पास उतनी ही अधिक कमी महसूस कर रहा है ।
किसके पास कितना, क्या है या नहीं है, इस बात से उनके सम्पन्न या दरिद्री होने का कोइ सम्बन्ध नहीं है क्योंकि कुछभी किसीका नहीं है, प्रत्येक कण स्वतंत्र है।
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