Sunday, June 14, 2015

किसीको धर्म (आत्मकल्याण) के मार्ग पर लगाना ही उसके व जगत के प्रति अनन्त उपकार है ।

किसीको धर्म (आत्मकल्याण) के मार्ग पर लगाना ही उसके व जगत के प्रति अनन्त उपकार है ।
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल

इन्द्रभूति गौतम (महावीर के मुख्य गणधर) जैसे तद्भव मोक्षगामी को भी इसी प्रकार सन्मार्ग पर लगाया गया था ।

यह कार्य साधारण नहीं, स्वयं सौधर्म इन्द्र ने यही काम किया था, वर्ना वक़्त की वलिहारी तो देखिए - 

-तीर्थंकर जैसे वक़्ता हों

-सौधर्म इन्द्र जैसे व्यबस्थापक

और 
समोसरण जैसी भव्य सभा 

तबभी एक योग्य श्रोता न मिले ?
और इसलिए तीर्थंकर की दिव्यध्वनि न खिर सके ।

धन्य हैं वे लोग जो ऐसे महान कार्य में लगे हैं।
यह
क्या आप भी ऐसे ही सौभाग्यशाली हैं ?

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