- परमात्म नीति (4)
- तू स्वामी है या दास ?
- प्रभुता या दासता तेरे पद में नहीं तेरी वृत्ति में है.
यदि तू दासबुद्दी से कोई कार्य करता है तो वह कार्य करता
हुआ तू दास ही है स्वामी नहीं और यदि वही कार्य तू स्वामीभाव
करता है तो वही कार्य करता हुआ तू स्वामी है दास नहीं.
पद
में नहीं स्वामीपना, पद में नहीं है दासता
जगत
वैसा मानलेता है, जैसी हो हममें पात्रता
घोषणा
यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.
यह क्रम जारी रहेगा.
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