Tuesday, August 11, 2015

परमात्म नीति (21) - संचित धन का प्रबंधन नवीन धन कमाने से कम महत्वपूर्ण नहीं


- परमात्म नीति (21)

- संचित धन का प्रबंधन नवीन धन कमाने से कम महत्वपूर्ण नहीं.



- पैसे के लिए आप क्यों काम करते हें, पैसे को आपके लिए काम करने दीजिये. इसके लिए श्रम की नहीं योजना की आवश्यकता है.

संचित धन की रक्षा और प्रबंधन कम महत्वपूर्ण नहीं, यह अत्यन्त आवश्यक है और उचित भी. हम लोग नवीन धनार्जन में ही इतने व्यस्त हो जाते हें कि कमाए हुए धन को संभाल ही नहीं पाते हें और वह नष्ट होता रहता है.


जितना श्रम हम नया धन कमाने के लिए करते हें, मात्र उसके शतांश श्रम से ही संचितधन का उपयोग करके, उतना ही धन अर्जित कर सकते हें. 





नया धन कमाना और संचित धन की रक्षा करना, ये दोनों ही कार्य श्रमसाध्य और सामर्थ्य के आधीन हें.

सामर्थ्य यदि सीमित है तो नया धन कमाने की अपेक्षा संचित धन की रक्षा के उपाय कर. यह तो तुझे करना ही होगा, संचित धन के लिए भी और नये कमाए हुए धन के लिए भी. 

यदि तू रक्षा में सक्षम नहीं तो धन कमाने का उपक्रम व्यर्थ है.

यदि संचित धन विवादग्रस्त हो तो यथायोग्य विचार कर निर्णय करना योग्य है क्योंकि संभव है नवीन धनअर्जन ज्यादा आसान हो और संघर्ष अधिक समय और श्रमसाध्य हो.

नवीन धन कमाना तो मात्र तेरे आधीन है पर विवादग्रस्त धन पराधीन, क्योंकि उसमें तो बादी-प्रतिबादी और न्यायाधीश तीन लोग शामिल होते हें.






उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.

- घोषणा 

यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.

यह क्रम जारी रहेगा. 
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

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