jaipur, monday, 30 november 2015, 7.57 am
मेरे अपने लिए -
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
- यह जीवन दुर्लभ है, यह विशिष्ट उपलब्धियों के लिए है, सामान्यरूप से बिता देने के लिए नहीं.
- दुनिया में और जीवन में कृत्य अनेकों हें पर सबकुछ अपने लिए नहीं.
- अपनी रूचि, योग्यता और परिस्थिति के अनुरूप अपने लिए कृत्य निर्धारित करो.
- अनन्त के लिए दौड़ने का कोई औचित्य नहीं है, अपनी आवश्यकतायें निर्धारित करना योग्य है.
- क्या सदा दौड़ते ही रहोगे? शीघ्रतम संभव समय में लक्ष्य तक पहुंचकर अधिकतम विश्राम करना योग्य है.
- लक्ष्य सार्थक होना चाहिए, निरर्थक नहीं.
- लक्ष्य सुनिश्चित करो. मार्ग की पहिचान करो और चल पढो.
- अटकने और भटकने से बचो.
- अपने लक्ष्य को मत भूलो.
- हम दौड़ तो निरंतर रहे हें, एक बार भटके तो विदिशा में बहुत दूर निकल जायेंगे. फिर शायद लौटने का अवसर ही न हो.
- यदि वर्तमान में कमजोरी है तो अपने भूतकाल के वैभव के भरोसे किसी से कुछ नहीं पाया जा सकता है सिवाय सहानुभूति और दया के.
- अपने स्वर्णिम भविष्य की आशा (संभावना) के सहारे सिर्फ कर्जा मिल सकता है और कुछ नहीं.
jaipur,wednesday, 2 dec. 2015, 7.37 am
मेरे अपने लिए -
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
- यह जीवन दुर्लभ है, यह विशिष्ट उपलब्धियों के लिए है, सामान्यरूप से बिता देने के लिए नहीं.
- दुनिया में और जीवन में कृत्य अनेकों हें पर सबकुछ अपने लिए नहीं.
- अपनी रूचि, योग्यता और परिस्थिति के अनुरूप अपने लिए कृत्य निर्धारित करो.
- अनन्त के लिए दौड़ने का कोई औचित्य नहीं है, अपनी आवश्यकतायें निर्धारित करना योग्य है.
- क्या सदा दौड़ते ही रहोगे? शीघ्रतम संभव समय में लक्ष्य तक पहुंचकर अधिकतम विश्राम करना योग्य है.
- लक्ष्य सार्थक होना चाहिए, निरर्थक नहीं.
- लक्ष्य सुनिश्चित करो. मार्ग की पहिचान करो और चल पढो.
- अटकने और भटकने से बचो.
- अपने लक्ष्य को मत भूलो.
- हम दौड़ तो निरंतर रहे हें, एक बार भटके तो विदिशा में बहुत दूर निकल जायेंगे. फिर शायद लौटने का अवसर ही न हो.
- यदि वर्तमान में कमजोरी है तो अपने भूतकाल के वैभव के भरोसे किसी से कुछ नहीं पाया जा सकता है सिवाय सहानुभूति और दया के.
- अपने स्वर्णिम भविष्य की आशा (संभावना) के सहारे सिर्फ कर्जा मिल सकता है और कुछ नहीं.
jaipur,wednesday, 2 dec. 2015, 7.37 am
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