jaipur,sunday, 29 नवम्बर २०१५, ७.१५ am
सदा याद रखने योग्य -
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
- रचनात्मक करो, ध्वंस से बचो.
- चुनौती पर ध्यान दो, आखें बंद मत करो.
- जो कल किया जासकता है, अधिकतम मामलों में वही आज भी हो सकता है, तब कल का इंतजार क्यों?
- हमारे कृत्य हमारी अपनी शांति के लिए होने चाहिए किसी अन्य पर प्रभाव डालने के लिए नहीं.
- तेरे लिए सबसे अच्छा औजार वही है जिसके संचालन में तू पारंगत है.
- जब हम बोलते हें तब वह सीखता है, जब वह बोलता है तब हम सीखते हें. बेहतर है हम सीखें.
- अभिप्राय किसी का छुपता नहीं, प्रकट हो ही जाता है, किसी का कुछ जल्दी, किसी का कुछ देर से.
- स्वभाव (आदतें, नीति, कृत्य, नियत) बदलिए छवि बदल ही जायेगी.
- लोग यह तो जानते ही हें कि आप क्या हें, वे यह भी जानते हें कि आप कैसे दिखने का प्रयास कर रहे हें.
- आपकी किसी भी क्रिया पर लोगों की प्रतिक्रिया आपकी सुविधा के अनुरूप नहीं उनकी आवश्यक्ता (परिस्थिति, स्वभाव, अवसर, स्वार्थ) के अनुरूप होती है.
- सिद्धांतो (नीतियों) का पालन कीजिये, अपने क्र्त्यों पर नीति का पर्दा मत डालिए.
- हमारा प्रत्येक कृत्य ही नहीं वरन प्रत्येक वचन, क्रियाकलाप, हावभाव, चालढाल और मूढ़ संदेशों का सम्प्रेषण करते है.
- बच्चे सिर्फ वही नहीं सीखते हें जो हम उन्हें सिखाना चाहते हें वरन वे वह ज्यादा प्रभावशाली ढंग से सीखते हें जो हम करते हें.
- सावधान! बच्चे आपको परख रहे हें, वे आपसे सीख रहे हें.
- इससे पहिले कि आप कुछ कहना प्रारम्भ करें, आपका मूढ़ (हावभाव) आपकी चुगली कर चुके होते हें.
- आपके चरित्र को देखकर लोग जानते हें कि आप कैसे हें, आपकी बातों और व्यवहार से वे जानते हें कि आप कैसे दिखना चाहते हें.
- सतत सफलता मात्र संयोग नहीं वरन सही नीतियों और क्रियाकलापों का परिणाम होती है.
- किसी का सही मूल्यांकन नहीं करना अपने आपके साथ छल है. इससे हम स्वयं ही भ्रमित रहते हें.
- यह जीवन आत्मकल्याण के लिए है.
- यह तय करले कि उलझे ही रहना है या सुलझना है.
- पर में परिवर्तन की आकांक्षा अशांति की जनक है.
- अब उलझने का नहीं सुलझने का समय है.
- कुछ भी हो पर काम चलते रहना चाहिए.
- अपनी क्षमता के अनुरूप उड़ान भरो.
- किसी के अंतर में मत झांको, वहां तो बस विकृतियाँ ही विकृतियाँ हें.
- सतत असफलताएं मात्र संयोग नहीं वरन किसी गम्भीर भूल का परिणाम होती हें.
- किसीको असहज करके हम स्वयं सहज नहीं रह सकते हें.
- सहजता सुख है और असहजता दुःख.
- यह दूरगामी महत्व की बात है कि वह कैसा है. तत्कालीन महत्व इस बात का है कि वह कैसा व्यवहार कर रहा है.
- क्षणिक संयोगों के तत्कालीन व्यवहार पर ध्यान दीजिये और उसके स्वभाव (चरित्र) पर नहीं.
- दूगामी सम्बन्धों में उसके चरित्र (स्वभाव, नीतियाँ) पर ध्यान दीजिये उसके तत्कालीन प्रकट व्यवहार पर नहीं.
- सामान परिस्थितियों में अलग-अलग लोगों का व्यवहार उनके स्वभाव, नीतियों, मूढ़ और आपके साथ सम्बन्धों के अनुरूप प्रथक-प्रथक होता है.
जनरेशन गैप -
- बुजुर्ग सोचते हें कि समय कम है, जो है आज है बस.
युवा सोचते हें आगे सारी जिन्दगी पडी है.
- बुजुर्गलोग अनुभवी होते हें, उन्होंने जीवन के निष्कर्ष निकाल लिए हें. युवकों के लिए सबकुछ नया है.
- बुजुर्गों के लिए समय काटना समस्या है और युवकों के पास समय है नहीं.
- बुजुर्गों में शक्ति की कमी है और स्वास्थ्य कमजोर, युवकों में ऊर्जा है और स्वास्थ्य बेहतर है.
- यथार्थ के अभाव में युवक आदर्शों के सहारे जीते हें, बुजुर्गों के आदर्श आहत हो चुके होते हें और वे यथार्थबादी हो जाते हें.
- युवक नवनिर्माण में व्यस्त होते हें और बुजुर्ग मात्र मेंटेंनेंस में.
- युवक आशावादी होते हें और बुजुर्ग निराश.
jaipur, monday, 30 november 2015, 7.49 am
- सफलता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि योजनाएँ दीर्घायु होनी चाहिए.
- चिंतन, शोध, साहित्य और कला में असीम संभावनाएं हें. वह कभी पूर्णता को प्राप्त नहीं होती है.
चिन्तक, शोधक, साहित्यकार और कलाकार दुर्लभ और अद्वितीय हुआ करते हें.
सदा याद रखने योग्य -
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
- रचनात्मक करो, ध्वंस से बचो.
- चुनौती पर ध्यान दो, आखें बंद मत करो.
- जो कल किया जासकता है, अधिकतम मामलों में वही आज भी हो सकता है, तब कल का इंतजार क्यों?
- हमारे कृत्य हमारी अपनी शांति के लिए होने चाहिए किसी अन्य पर प्रभाव डालने के लिए नहीं.
- तेरे लिए सबसे अच्छा औजार वही है जिसके संचालन में तू पारंगत है.
- जब हम बोलते हें तब वह सीखता है, जब वह बोलता है तब हम सीखते हें. बेहतर है हम सीखें.
- अभिप्राय किसी का छुपता नहीं, प्रकट हो ही जाता है, किसी का कुछ जल्दी, किसी का कुछ देर से.
- स्वभाव (आदतें, नीति, कृत्य, नियत) बदलिए छवि बदल ही जायेगी.
- लोग यह तो जानते ही हें कि आप क्या हें, वे यह भी जानते हें कि आप कैसे दिखने का प्रयास कर रहे हें.
- आपकी किसी भी क्रिया पर लोगों की प्रतिक्रिया आपकी सुविधा के अनुरूप नहीं उनकी आवश्यक्ता (परिस्थिति, स्वभाव, अवसर, स्वार्थ) के अनुरूप होती है.
- सिद्धांतो (नीतियों) का पालन कीजिये, अपने क्र्त्यों पर नीति का पर्दा मत डालिए.
- हमारा प्रत्येक कृत्य ही नहीं वरन प्रत्येक वचन, क्रियाकलाप, हावभाव, चालढाल और मूढ़ संदेशों का सम्प्रेषण करते है.
- बच्चे सिर्फ वही नहीं सीखते हें जो हम उन्हें सिखाना चाहते हें वरन वे वह ज्यादा प्रभावशाली ढंग से सीखते हें जो हम करते हें.
- सावधान! बच्चे आपको परख रहे हें, वे आपसे सीख रहे हें.
- इससे पहिले कि आप कुछ कहना प्रारम्भ करें, आपका मूढ़ (हावभाव) आपकी चुगली कर चुके होते हें.
- आपके चरित्र को देखकर लोग जानते हें कि आप कैसे हें, आपकी बातों और व्यवहार से वे जानते हें कि आप कैसे दिखना चाहते हें.
- सतत सफलता मात्र संयोग नहीं वरन सही नीतियों और क्रियाकलापों का परिणाम होती है.
- किसी का सही मूल्यांकन नहीं करना अपने आपके साथ छल है. इससे हम स्वयं ही भ्रमित रहते हें.
- यह जीवन आत्मकल्याण के लिए है.
- यह तय करले कि उलझे ही रहना है या सुलझना है.
- पर में परिवर्तन की आकांक्षा अशांति की जनक है.
- अब उलझने का नहीं सुलझने का समय है.
- कुछ भी हो पर काम चलते रहना चाहिए.
- अपनी क्षमता के अनुरूप उड़ान भरो.
- किसी के अंतर में मत झांको, वहां तो बस विकृतियाँ ही विकृतियाँ हें.
- सतत असफलताएं मात्र संयोग नहीं वरन किसी गम्भीर भूल का परिणाम होती हें.
- किसीको असहज करके हम स्वयं सहज नहीं रह सकते हें.
- सहजता सुख है और असहजता दुःख.
- यह दूरगामी महत्व की बात है कि वह कैसा है. तत्कालीन महत्व इस बात का है कि वह कैसा व्यवहार कर रहा है.
- क्षणिक संयोगों के तत्कालीन व्यवहार पर ध्यान दीजिये और उसके स्वभाव (चरित्र) पर नहीं.
- दूगामी सम्बन्धों में उसके चरित्र (स्वभाव, नीतियाँ) पर ध्यान दीजिये उसके तत्कालीन प्रकट व्यवहार पर नहीं.
- सामान परिस्थितियों में अलग-अलग लोगों का व्यवहार उनके स्वभाव, नीतियों, मूढ़ और आपके साथ सम्बन्धों के अनुरूप प्रथक-प्रथक होता है.
जनरेशन गैप -
- बुजुर्ग सोचते हें कि समय कम है, जो है आज है बस.
युवा सोचते हें आगे सारी जिन्दगी पडी है.
- बुजुर्गलोग अनुभवी होते हें, उन्होंने जीवन के निष्कर्ष निकाल लिए हें. युवकों के लिए सबकुछ नया है.
- बुजुर्गों के लिए समय काटना समस्या है और युवकों के पास समय है नहीं.
- बुजुर्गों में शक्ति की कमी है और स्वास्थ्य कमजोर, युवकों में ऊर्जा है और स्वास्थ्य बेहतर है.
- यथार्थ के अभाव में युवक आदर्शों के सहारे जीते हें, बुजुर्गों के आदर्श आहत हो चुके होते हें और वे यथार्थबादी हो जाते हें.
- युवक नवनिर्माण में व्यस्त होते हें और बुजुर्ग मात्र मेंटेंनेंस में.
- युवक आशावादी होते हें और बुजुर्ग निराश.
jaipur, monday, 30 november 2015, 7.49 am
- सफलता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि योजनाएँ दीर्घायु होनी चाहिए.
- चिंतन, शोध, साहित्य और कला में असीम संभावनाएं हें. वह कभी पूर्णता को प्राप्त नहीं होती है.
चिन्तक, शोधक, साहित्यकार और कलाकार दुर्लभ और अद्वितीय हुआ करते हें.
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