Thursday, February 23, 2023

यदि ध्वंस तेरे ख्वाबों में हिलोरें ले रहा है तो समझ लेना कि निश्चित ही दुर्भाग्य ही दस्तक देरहा है.

जयपुर, गुरुबार, ३ दिसम्बर २०१५, रात्रि १०.13

यदि ध्वंस तेरे ख्वाबों में हिलोरें ले रहा है तो समझ लेना कि निश्चित ही दुर्भाग्य ही दस्तक देरहा है.
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल  

ज़रा विचार तो कर !

- यदि तेरे भाग्य में सुख और संतुष्टी लिखी होती तो क्या तू अभी सुखी नहीं होता?

- तू सुखी होने की चाहत में जिन हालातों की परिकल्पना करता है, ज़रा विचार तो कर कि उन हालातों में जीरहे लोग आज कितने सुखी हें? 

- अबतक के तेरे जीवन में सदा हालात तो एक जैसे नहीं थे न ?
  तेरे हालात तो कई बार बदले हें न ?  सदा ही बदलते ही रहे हें न ? 
  पर तू सुखी और संतुष्ट कब हुआ ?
  कभी भी नहीं न ?
  तो अब कैसे होगा ? 

- हमलोग मात्र सुनहरे भविष्य की कामना में ही व्याकुल नहीं होते हें वरन   कथित स्वर्णिम अतीत की यादों से भी व्यथित बने रहते हें. तब इस बात की क्या गारंटी है कि भले ही आज तू परिवर्तन की कामना में अधीर होकर दुखी है पर कल फिर अपने इस आज वाले अतीत को याद करके दुखी नहीं होगा ?
पर क्या तू फिर इसे लौटा सकेगा ?
नहीं न ?
तब क्यों नहीं किसी बड़े उलटफेर और विध्वंस के सपने छोड़कर उस सही समझ का विकास करता है जो तेरी व्याकुलता को  कम कर सके, मिटा सके. क्योंकि सुख और संतुष्टी तो समझ में ही है परिवर्तन में नहीं.

- तेरी व्याकुलता का कारण कोई परिस्थिति विशेष नहीं वरन चाहत है, प्रतिपल एक नई चाहत. 
तू कुछ भी करले, पर तेरी चाहतें तो ख़त्म होंगी नहीं, चाहतें तो बनी ही रहेंगीं, तब तू सुखी कैसे होगा ? इसलिए यदि कुछ करना है तो चाहतों के अभाव का उपक्रम कर. विध्वंस तो व्यर्थ है.  
   


यदि तुम्हारे ह्रदय में विध्वंस की कामना की लहरें उठ रही हें तो सावधान !
ऐसी कोई गल्ती करने से पहिले 1000 बार विचार करना !
क्योंकि तेरे हाथ पश्चाताप के शिवाय कुछ भी लगने वाला नहीं है.

जनता है क्यों ?

अरे अभागे ! 
इसलिए कि अभागों के भाग्य में मात्र पश्चाताप ही लिखा होता है.

अरे ! यदि तू आज भी असंतुष्ट और व्याकुल है, तो तेरा दुर्भाग्य चाहे तुझे जो भी ख़्वाब दिखा रहा हो पर इतना समझ ले कि यदि तू विध्वंस पर ही उतारू है तो तेरा आगामीकाल और भी अधिक भयावह है.
क्योंकि विध्वंस तो होता ही दुर्भाग्यपूर्ण है.

अरे भोले ! यदि तेरे पल्ले में खुशी और संतोष का पुण्य होता तो तुझे आज भी इन्हीं हालातों में खुशियाँ नहीं मिल जातीं ?
पर यदि तू व्याकुल ही है तो इसका मतलब यह है कि तेरे भाग्य में ही व्याकुलता लिखी है और तेरा दुर्भाग्य मात्र इतने में ही संतुष्ट नहीं है इसलिए तेरे चित्त में ये ध्वंसात्मक विचार हिलोरें ले रहे हें.

यह विचार मात्र मेरे ही नहीं हें वरन दुनिया में तू जिसे भी इस योग्य समझता है उसीसे सलाह ले लेना. कोई तुझे विध्वंस के पक्ष में सलाह दे ही नहीं सकता है.
खुदा न खास्ता यदि कोई ऐसा मिल ही जाता है तो अविवेकियों और अपने दुश्मनों की लिस्ट में उसका नाम सबसे ऊपर लिख देना. उससे सावधान रहना , क्योंकि हो नहो वही तेरा दुर्भाग्य बनकर अवतरित हुआ हो. 
आखिर दुर्भाग्य भी कोई न कोई रूप धारण करके तो आयेगा ही न !  

अरे दुखिया ! 
यह जगत है ही ऐसा !
यहाँ कौन ऐसा है जो सुखी और संतुष्ट हो ?
कुछ लोग अपने दर्दों से दुखी हें तो कुछ औरों के दुखड़ों से.
अभागे लोग अपनी समस्याओं से परेशान हें तो सज्जन लोग दूसरों का दुःख देखकर दुखी रहते हें.
यहाँ सभी लोग अपने हालातों से असंतुष्ट और दुखी हें और थोड़े से शुकून की आशा में परिवर्तन चाहते हें. क्योंकि जो वे भुगत रहे हें उससे तो असंतुष्ट हें ही, या तो अनिष्ट के कारण और या फिर और अधिक बेहतरी की चाहत में.
तो क्या परिवर्तन उन्हें सुखी कर सकेगा ? 
हाँ ! अवश्य !!
यदि सर का बोझ कंधे पर रखकर कोई सुखी हो सकता है तो अवश्य ही परिवर्तन उन्हें सुखी करेगा, कुछ ही पलों के लिये. फिर कुछ ही पलों के बाद वे फिर किसी और परिवर्तन के स्वप्नों में खो जायेंगे.
क्या तुझे ऐसा ही सुख चाहिए ?







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