ना सूनी मानी एक तुमने
मैं बात जो कहता रहा
प्रहार तुम करते रहे
और मैं सहता रहा
अफ़सोस होगा एक दिन
निश्चित तुम्हीं पछताओगे
ब्रहम्मांड सारा घूमकर
तुम इसी दर पर आओगे
जो आज सन्मुख खड़े तेरे
ना काम तेरे आयेंगे
प्रसंगवश वे आ मिले हें
फिरसे जुदा हो जायेंगे
मुझे पहिचाने नहीं तुम
उनको भी तू जाना नहीं
जनम भर हम साथ थे
क्या फर्क पहिचाना नहीं
मैं बात जो कहता रहा
प्रहार तुम करते रहे
और मैं सहता रहा
अफ़सोस होगा एक दिन
निश्चित तुम्हीं पछताओगे
ब्रहम्मांड सारा घूमकर
तुम इसी दर पर आओगे
जो आज सन्मुख खड़े तेरे
ना काम तेरे आयेंगे
प्रसंगवश वे आ मिले हें
फिरसे जुदा हो जायेंगे
मुझे पहिचाने नहीं तुम
उनको भी तू जाना नहीं
जनम भर हम साथ थे
क्या फर्क पहिचाना नहीं
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