Thursday, February 23, 2023

ना सूनी मानी एक तुमने 
मैं बात जो कहता रहा 
प्रहार तुम करते रहे 
और मैं सहता रहा 

अफ़सोस होगा एक दिन 
निश्चित तुम्हीं पछताओगे 
ब्रहम्मांड सारा घूमकर 
तुम इसी दर पर आओगे 

जो आज सन्मुख खड़े तेरे 
ना काम तेरे आयेंगे 
प्रसंगवश वे आ मिले हें 
फिरसे जुदा हो जायेंगे 

मुझे पहिचाने नहीं तुम 
उनको भी तू जाना नहीं 
जनम भर हम साथ थे 
क्या फर्क पहिचाना नहीं 







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