Sunday, September 25, 2011

आज की रात जाने दो , सुनहरा कल भी आयेगा

सकारात्मक रुख की आशावादिता

आज की रात जाने दो
सुनहरा कल भी आयेगा
आज की बात जाने दो
दर्द ये बीत जाएगा
क्या हालात ऐसे ही
सदा से थे , या बदले हें
यदि पहले भी बदला है
तो फिर से भी
बदल सब ये तो जाएगा
इन हालात में तुम भी
ना जखम किसी को दे देना
जखम जो भर भी जाये तो
निशां तो रह ही जाएगा

1 comment:

  1. सुंदर
    जख्म ही तो नहीं भरते
    भर भी जाएँ तो जख्म के निशान याद दिलाते हैं

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