सकारात्मक रुख की आशावादिता
आज की रात जाने दो
सुनहरा कल भी आयेगा
आज की बात जाने दो
दर्द ये बीत जाएगा
क्या हालात ऐसे ही
सदा से थे , या बदले हें
यदि पहले भी बदला है
तो फिर से भी
बदल सब ये तो जाएगा
इन हालात में तुम भी
ना जखम किसी को दे देना
जखम जो भर भी जाये तो
निशां तो रह ही जाएगा
सुंदर
ReplyDeleteजख्म ही तो नहीं भरते
भर भी जाएँ तो जख्म के निशान याद दिलाते हैं