Wednesday, September 21, 2011

हम सब मनुज हें आधे , अधूरे , भूल होना सहज है

"गल्तियाँ" क्या ,क्यों और कैसे ? (8)


हम सब मनुज हें आधे , अधूरे , भूल होना सहज है

भूलों भरा व्यवहार यूं तो , अज्ञान की ही उपज है

कर जानकर जो गल्तियाँ,उनको भूल ही ठहराएगा

अपराध के इस दंड से , वह बच तो नहीं ही पायेगा

No comments:

Post a Comment