Friday, October 14, 2011

जीत लेता आश्रवों को , यह जीव हो निर्बंध तब

पर  द्रव्य  के  निमित से हो , जीव के रागादि जो 
वे भाव आस्रव भाव  हें , उनके निमित से बंध हो 
स्व द्रव्य के अबलम्ब से ,प्रकट हो सम्यक्त्व जब 
जीत  लेता  आश्रवों  को , यह जीव हो निर्बंध तब 

No comments:

Post a Comment